Monday, October 10, 2011

प्रेम क्या है ?

'सच्चा प्रेम कभी प्रति-प्रेम नहीं चाहता।' - कबीरदास

'पुरुष, प्यार अक्सर और थोड़ा करता है, किंतु स्त्री, प्यार सौभाग्य से और स्थाई करती है।'- आचार्य रजनीश 'ओशो'

'जिस प्यार में प्यार करने की कोई हद नहीं होती और किसी तरह का पछतावा भी नहीं होता, वही उसका सच्चा रूप है।' -मीर तकी मीर

'प्यार एक भूत की तरह है, जिसके बारे में बातें तो सभी करते हैं, पर इसके दर्शन बहुत कम लोगों को हुए हैं।'- सिकंदर

'प्रेम

कभी दावा नहीं करता, वह हमेशा देता है। प्रेम हमेशा कष्ट सहता है, न कभी

झुंझलाता है और न ही कभी बदला लेता है।' -महात्मा गाँधी

'खूब

किया मैंने दुनिया से प्रेम और मुझसे दुनिया ने, तभी तो मेरी मुस्कुराहट

उसके होठों पर थी और उसके सभी आँसू मेरी आँखों में।' - खलील जिब्रान

'प्रेम आँखों से नहीं ह्रदय से देखता है, इसीलिए प्रेम को अंधा कहा गया है।' -शेक्सपीयर

'प्रेम के स्पर्श से हर कोई कवि बन जाता है।' -अफलातून

'जहाँ प्रेम है, वहीं जीवन का सही रूप है।' - अरस्तु

'प्यार आत्मा की खुराक है।' - कंफ्यूशियस

'प्यार समर्पण और जिम्मेदारी का दूसरा नाम है।' - बेकन

'जीवन में प्रेम का वही महत्व है जो फूल में खुशबू का होता है।' - जॉर्ज बनार्ड शॉ

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